Tuesday, 27 October 2020

जिंदगी

'जिंदगी' को समेटना पड़ता है वरना  घुस्सा, अल्फ़ाज़, जज्बात, इरादे, आदत, फितरत, रुतबा या फिर इज्जत ऐसी कई चीजें उसे कहीं और जगे लेजाते है, और हमे लगता है के यही नसीब में था..